राजस्थान सरकार की उड़ान योजना पर पिछले 9 माह से ब्रेक लगे हैं। राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लि. (RMSCL) ने पिछले 9 माह से इस योजना के तहत सैनेटरी नैपकिन की खरीद ही नहीं की। इस कारण महिला एवं बाल विभाग की ओर से सेंटर्स पर फ्री सैनेटरी नैपकिन का वितरण नहीं हो सका।
हाल ही में महिला अधिकारिता की कमिश्नर नीतू राजेश्वर ने एक पत्र लिखकर इस बात का जिक्र किया। आयुक्त की ओर से RMSCL एमडी को लिखे पत्र में बताया- जून और जुलाई 2024 के बाद इस योजना के तहत सैनेटरी नैपकिन की खरीद के वर्क ऑर्डर जारी नहीं किए। इस कारण जुलाई 2024 से मार्च 2025 तक वितरण केन्द्रों पर सैनेटरी नैपकिन की आपूर्ति नहीं हो सकी। इससे बैकलॉग की स्थिति बन गई।
निरस्त की पुरानी डिमांड, अब नई मांगी
9 माह तक अलग-अलग समय पर डिमांड मांगने के बाद भी सप्लाई नहीं होने पर बैकलॉग तैयार हो गया। अब इतना स्टॉक अगर RMSCL भेजता है तो विभाग के पास रखने के लिए जगह नहीं है। ऐसे में विभाग ने अब सभी पुरानी डिमांड को निरस्त करते हुए नए सिरे से अप्रैल, मई और जून के लिए स्टॉक की मांग की है। इसके लिए विभाग को कितने नैपकिन चाहिए, इसकी जल्द डिमांड बनाकर भेजी जाएगी।

रेट कॉन्ट्रेक्ट और फर्म के लिए टेंडर ही नहीं
RMSCL के सूत्रों का कहना है- पिछले कुछ माह से सैनेटरी नैपकिन खरीद नहीं हो रही। जो टेंडर पहले किए थे उनकी समयावधि पूरी हो चुकी है। नए सिरे से रेट कॉन्ट्रेक्ट और फर्म चयन के लिए अब तक टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। इस कारण नैपकिन खरीद के आदेश नहीं जारी नहीं किए जा रहे।
सप्लाई नहीं हुई तो कैसे बांटे नैपकिन
महिला अधिकारिता विभाग की अतिरिक्त निदेशक और उड़ान योजना की इंचार्ज सीमा शर्मा का कहना है- हमने RMSCL को पहले कई बार डिमांड भेजी है, लेकिन उनके वहां से कुछ महीनों से सप्लाई नहीं आ रही है। अब जब सप्लाई नहीं आ रही तो विभाग की ओर से वितरण केन्द्रों पर नैपकिन कैसे बांटे जाएंगे?
क्या है योजना
साल 2021 को सरकार ने 11 से 45 साल की महिलाओं, स्कूल छात्राओं के लिए उड़ान योजना शुरू की थी। योजना का उद्देश्य महिलाओं व छात्राओं को माहवारी के समय सैनिटरी पैड उपलब्ध करवाना था। इस योजना के लिए महिला अधिकारिकता विभाग को नोडल एजेंसी बनाया है। विभाग की ओर से सैनेटरी पैड वितरण के लिए डिमांड RMSCL को भेजी जाती है। RMSCL की तरफ से इस डिमांड के अनुसार पैड की खरीद की जाती है और उसे जिलेवार भिजवाया जाता है।
