जयपुर नगर निगम हेरिटेज एक सफाई कर्मचारी को 53 करोड़ रुपए का पेमेंट करने वाला था। इसका बिल बनाकर सरकार को भी भेज दिया। लेकिन वित्त विभाग ने रोक दिया। वहीं, निगम के अधिकारियों को पूरे मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं।
नगर निगम हेरिटेज को सफाई कर्मचारियों को साल 2021 के फरवरी महीने का एरियर दिया जाना था। जो 12 हजार 812 रुपए था। लेकिन नगर निगम के किशनपोल जोन में कार्यरत सफाई कर्मचारी ओमप्रकाश गुर्जर को 53 करोड़ 11 हजार 912 रुपए का एरियर स्वीकृत कर दिया। इस एरियर को स्वीकृत किया गया। पांच स्तर पर जांच के बाद सरकार को भुगतान के लिए भी इसका बिल भेज दिया गया। इसके बाद वित्त विभाग ने नगर निगम की इस लापरवाही को पकड़ अधिकारियों को लताड़ लगाते हुए बिल की जांच के आदेश दिए हैं।
निगम में पांच लेवल से गुजरता है बिल
- सबसे पहले नगर निगम के जोन स्तर पर सफाई कर्मचारी के भुगतान का कच्चा बिल कंप्यूटर ऑपरेटर बनता है।
- इस बिल को नगर निगम द्वारा ही संचालित ओसवाल डाटा सेंटर भेजा जाता है। जहां डिजिटल सिग्नेचर अथॉरिटी एडिश्नल कमिश्नर (सुरेंद्र यादव) के कहने के बाद पक्का बिल तैयार किया जाता है।
- ओसवाल डाटा सेंटर द्वारा पक्का बिल बनने के बाद बाबू, अकाउंटेंट और डिप्टी कमिश्नर (दिलीप भंभानी) उसे चेक साइन करते हैं।
- इबिल नगर निगम के कैश सेक्शन में पहुंचता है। जहां कैशियर के वेरिफाई करने के बाद डिजिटल साइन अथॉरिटी (एडिशनल कमिश्नर) बिल चेक करते हैं।
- इसके बाद बिल नगर निगम की ट्रेजरी से पास होता है। जहां बिल पास होने के बाद उसे फाइनेंस डिपार्टमेंट में भुगतान के लिए भेजा जाता है।
संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के निवर्तमान अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने कहा कि यह मानवीय भूल नहीं है। निगम स्तर पर ही पांच जगह इस पेमेंट की फाइल को चेक किया गया। कहीं पर भी इस गलती को नहीं पकड़ा गया। इसके बाद सरकार के फाइनेंस डिपार्टमेंट ने नगर निगम के अधिकारियों की इस लापरवाही को पकड़ फाइल को फिर से निगम भेजा है।
उन्होंने कहा- नगर निगम के अधिकारियों द्वारा इस तरह की गलतियों को पूर्व में भी किया गया है। इसकी अब तक जांच नहीं हुई है। इसलिए इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। जो भी अधिकारी और कर्मचारी इसमें दोषी है। उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाना चाहिए। हो सकता है यह लोग 53 लाख रुपए का भुगतान लेना चाहते हो। लेकिन दो जीरो ज्यादा लगने की वजह से यह गलती पकड़ में आ गई।
टेक्निकल गलती में किया गया सुधार
नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर सुरेंद्र यादव ने कहा- यह एक टेक्निकल गलती थी। इसमें सुधार कर लिया गया है। भविष्य में ऐसी गलती न हो इसको लेकर भी ठोस नीति बनाई जाएगी। वैसे भी यह गलती मेरे स्तर पर नहीं बल्कि, जोन स्तर पर हुई थी। वहीं, किशनपोल जोन के डिप्टी कमिश्नर दिलीप भंभानी ने कहा कि मुझे इस तरह की किसी भी भुगतान की कोई जानकारी नहीं है। निगम स्तर पर जो भी गड़बड़ी हुई है, उसकी जांच करवाएंगे।
पूर्व में हुए भुगतान की करवाएंगे जांच
हेरिटेज नगर निगम कमिश्नर अरुण कुमार हसीजा ने कहा- यह एक टाइपिंग मिस्टेक है। इसमें सुधार कर लिया गया है। मुझे लगता है निगम स्तर पर ही जांच में इस गलती को पकड़ा जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ, इसकी जांच करवाई जाएगी। इसके साथ ही पूर्व में भी जो भुगतान हुए हैं। उनकी भी जांच होगी। ताकि यह पता लगाया जा सके कि इससे पूर्व में भी क्या इस तरह की कोई वित्तीय अनियमित हुई है।
