जैसलमेर में सैनिक परिवारों को आवंटित की गई जमीन में बड़ा घोटाला सामने आया है। राजस्थान स्टेट एक्स सर्विसमैन वेलफेयर सोसाइटी के सचिव प्रेम सिंह खिरोड ने इस मामले को उजागर किया है।
2004 से 2006 के बीच जैसलमेर जिले में सैनिकों के आश्रितों को 7081 मुरब्बे (बॉर्डर पर 25 बीघा) जमीन आवंटित की गई थी। 2013 में आवंटियों को कब्जा मिलना था। लेकिन उपनिवेशन कार्यालय द्वारा 700 मुरब्बे पहले ही बेच दिए गए थे। आवंटियों को दी जाने वाली जमीन दूसरों को बेच दी गई।
संचित मुरब्बों को असंचित में बदल दिया गया
सचिव प्रेम सिंह खिरोड ने बताया- अधिकारियों ने संतों के साथ मिलकर करोड़ों का घोटाला किया। सिंचित मुरब्बों को असिंचित में बदल दिया गया। 2017 में जोधपुर उच्च न्यायालय ने आश्रितों के पक्ष में आदेश दिया। आदेश की प्रति बीकानेर उपनिवेशक कार्यालय में जमा की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
28 सितंबर 2020 को 712 आवंटियों की सूची में नाम थे। लेकिन 20 अक्टूबर की आवंटन सूची से ये नाम गायब हो गए। आवंटियों से एक साल की किस्त वसूली गई, लेकिन जमीन का कब्जा नहीं दिया गया।
एसीबी ने 2014 से 2016 तक की जांच की। इसमें सुवालाल, अरुण कुमार, तहसीलदार सरदारमल भोजक, रेवताराम और नायब तहसीलदार जगदीश के घोटाले का खुलासा हुआ। पिछले साल उपनिवेश उपायुक्त प्रेमाराम परमार को एजेंट के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया।
सोसाइटी ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि आवंटित मुरब्बे आश्रितों को दिए जाएं। साथ ही मृतक फौजियों के परिवारों को रोजगार दिया जाए और सांझा छत के दुरुपयोग पर रोक लगाई जाए।
वार्डन मृतक फौजियों की महिला को ही बनाया जाए
उन्होंने यह भी मांग की कि ORS मृतक सिपाहियों की विधवाओं की देखरेख की जाए।राजस्थान स्टेट एक्स सर्विसमैन वेलफेयर सोसाइटी के खातों को तुरंत प्रभाव से हस्तांतरित किया जाए। वार्डन मृतक फौजियों की महिला को ही बनाया जाए किसी अफसर की पत्नी बहू बेटी को नहीं बनाया जाए।
REXO को सांझा छत से अन्यत्र भेजा जाए.ORS मृतक सिपाही के आश्रितों को समुचित लाभ और देखरेख की जाए। वहीं मृतक आश्रितों के बच्चों के उच्च शिक्षा की व्यवस्था की जाए। समय-समय पर छात्रावासों का एक कमेटी बनाकर के निरीक्षण किया जाए वही उनके सुझाव अनुसार सुधार किया जाए। कमेटी के सुचारू संचालन के लिए निष्पक्षता बढ़ाते हुए उसमें किसी भी सदस्य को शामिल किया जा सकता है।इस मामले में सैनिक कल्याण विभाग के अधिकारियों का हस्तक्षेप काम किया जाए।
