best news portal development company in india

100 मर्डर करने वाला डॉक्टर कहता-मारने में मजा आता है:20 साल पुराना जयपुर के दो टैक्सी ड्राइवरों का केस, जिसमें पहली बार बेनकाब हुआ चेहरा

SHARE:

किडनियां निकालकर बेचने वाला, टैक्सी ड्राइवरों की हत्या कर उनकी टैक्सियां बेचने वाला कुख्यात सीरियल किलर डॉ. देवेंद्र शर्मा (67) राजस्थान के दौसा से पकड़ा गया है। उस पर 100 से ज्यादा मर्डर और करीब 125 किडनी निकालकर बेचने का आरोप है।

तिहाड़ जेल से पैरोल पर निकलने के बाद फरार हुआ डॉक्टर डेथ पिछले डेढ़ साल से दौसा के एक आश्रम में पुजारी बनकर छुपा था। एक मोबाइल रिचार्ज ने दिल्ली पुलिस को डॉ. देवेंद्र शर्मा तक पहुंचाया।

इसी तरीके से 20 साल पहले 2004 में डॉ. डेथ पहली बार जयपुर पुलिस के हत्थे चढ़ा था। तब भी दौसा से जयपुर में हुए 2 लैंडलाइन कॉल के जरिए पुलिस ने उस तक पहुंची थी।

दरअसल, जयपुर की जीआरपी थाना पुलिस डॉ. देवेंद्र को साधारण गुमशुदगी के मामले में पकड़कर लाई थी। लेकिन उसने गिरफ्तारी के बाद जो सच कबूले, उसे सुनकर पुलिस के भी होश उड़ गए थे। पहली बार डॉक्टर के भेष में देवेंद्र का असली चेहरा सामने आया था।

दिल्ली क्राइम ब्रांच पुलिस ने बुधवार को दौसा से आरोपी डॉक्टर डेथ को गिरफ्तार किया है।
दिल्ली क्राइम ब्रांच पुलिस ने बुधवार को दौसा से आरोपी डॉक्टर डेथ को गिरफ्तार किया है।

चार राज्यों के टैक्सी ड्राइवरों की हत्या, शव मगरमच्छों को डाले जयपुर पुलिस की पूछताछ में डॉ. देवेंद्र ने 2002 से लेकर 2004 तक यानि सिर्फ 2 साल के अंदर 100 से ज्यादा मर्डर करने की बात कबूली थी, लेकिन वह करीब 50 की ही सही जानकारी दे पाया था। इससे पहले 1994 से 2002 के बीच वह किडनी रैकेट से जुड़ा था। उसने 125 से अधिक अवैध रूप से किडनी ट्रांसप्लांट करवाई और इसके लिए 5 से 7 लाख रुपए वसूलने की बात कबूली।

डॉ. देवेंद्र किडनी ट्रांसप्लांट करने वाले डॉक्टर अमित के लिए दलाली करता था, जिसे बाद में जयपुर पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था। पहली बार जब जांच अधिकारियों ने उसके कारनामे सुने तो अंदर तक हिल गए थे।

पुलिस इसलिए भी हैरान थी कि आखिर इतने मर्डर करने वाले डॉक्टर का किसी को पता क्यों नहीं चला? इस सवाल के जवाब डॉ. देवेंद्र शर्मा ने अपने कबूलनामे में ही दिए। उसने बताया कि वह टैक्सी बुक करता और फिर उनके ड्राइवर का मर्डर करता था। इसके बाद उस टैक्सी को एक गैंग को बेच देता था।

डॉक्टर डेथ ने बताया- उसने राजस्थान ही नहीं हरियाणा, दिल्ली, यूपी के टैक्सी ड्राइवरों की भी हत्या की। वह मर्डर के बाद शव को नहरों-नदियों में मगरमच्छों के खाने के लिए डाल देता था। इस कारण किसी को बॉडी मिलती ही नहीं थी।

दौसा जिले में स्थित वो मंदिर जहां अभी डॉ. देवेंद्र शर्मा पुजारी बनकर रह रहा था।
दौसा जिले में स्थित वो मंदिर जहां अभी डॉ. देवेंद्र शर्मा पुजारी बनकर रह रहा था।

जयपुर से गुमशुदा हुए दो ड्राइवर भाई, रेलवे स्टेशन से यूपी के हापुड़ के लिए ली थी टैक्सी 18 जनवरी 2004 को जयपुर रेलवे जंक्शन के बाहर डॉ. देवेंद्र उर्फ डॉ. डेथ ने अपना नाम डॉक्टर मुकेश खंडेलवाल बताया और टैक्सी ड्राइवर चांद खां से उत्तर प्रदेश (यूपी) के हापुड़ जाने के लिए किराया पूछा। डॉक्टर ने कहा था कि मुझे अपने बीवी-बच्चों को जयपुर लाना है।

टाटा सूमो ड्राइवर चांद खां चलने को तैयार हो गया, लेकिन लंबी दूरी देखते हुए ड्राइवर चांद खां ने अपने भाई शराफत खां को भी साथ ले लिया। जब टैक्सी दौसा पहुंची, तो दोनों भाइयों ने सोचा कि वक्त लगेगा इसलिए घर पर बताना ठीक रहेगा। ऐसे में दोनों ने एसटीडी बूथ (लैंडलाइन) से अपने अब्बा गफ्फार खां को फोन कर टूर की जानकारी दी और अगले दिन लौटने की बात कही। कई दिनों तक दोनों भाई नहीं लौटे तो गफ्फार खां ने जीआरपी थाने में बेटों की गुमशुदगी दर्ज करा दी।

टैक्सी स्टैंड, जहां से उत्तर प्रदेश के हापुड़ जाने के लिए डॉक्टर ने किराए पर गाड़ी की थी।
टैक्सी स्टैंड, जहां से उत्तर प्रदेश के हापुड़ जाने के लिए डॉक्टर ने किराए पर गाड़ी की थी।

आखिर उस एसटीडी बूथ से उसी समय दूसरा कॉल किसने किया जीआरपी के तत्कालीन थाना प्रभारी मंसूर अली के नेतृत्व में जांच शुरू हुई। सबसे पहले पुलिस फोन नंबरों के आधार पर दौसा के महुआ स्थित उस एसटीडी बूथ पर पहुंची, जहां से गफ्फार खां को उनके दोनों बेटों ने आखिरी फोन किया था।

पड़ताल में पता चला कि दोनों भाइयों के कॉल करने के बाद गाड़ी में बैठे तीसरे शख्स ने इसी एसटीडी बूथ से एक और कॉल लगाया था। ये कॉल कासमपुर (यूपी) में चाय बनाने वाली किसी महिला का नंबर था। पुलिस कासमपुर में उस महिला के पास पहुंची।

महिला ने पुलिस को बताया कि डॉ. देवेंद्र ने उसके रिश्तेदार उदयवीर और राजू रजवा से बातचीत के लिए फोन किया था। उदयवीर और राजू रजवा अलीगढ़ (यूपी) के रहने वाले थे।

शराफत खां और चांद खां को लेकर जीआरपी थाने में दर्ज गुमशुदगी रिपोर्ट की कॉपी।
शराफत खां और चांद खां को लेकर जीआरपी थाने में दर्ज गुमशुदगी रिपोर्ट की कॉपी।

एटा की गंगा नहर में दो लाशें मिली जयपुर जीआरपी पुलिस शराफत खां और चांद खां की तलाश में डॉ. देवेंद्र, उदयवीर और राजू रजवा को खोज रही थी। इस बीच यूपी के एटा जिले की गंगा नहर में दो लाशें मिली। कई दिन पड़ताल के बाद भी लाशों की शिनाख्त नहीं हुई। आखिर में एटा पुलिस ने दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया। वहीं उनके पास मिले सामान और अन्य चीजों को सुरक्षित रख लिया।

इधर, जयपुर जीआरपी पुलिस को मार्च 2004 में दो लाश मिलने का पता चला। घड़ी-कंबल आदि से गफ्फार खां और दूसरे परिजनों ने शिनाख्त की कि ये सामान चांद और शराफत का ही था। गुमशुदगी का मामला अब हत्या का केस बन चुका था। तत्कालीन आईजी रेलवे हरिश्चंद्र मीणा के निर्देशन में पुलिस निरीक्षक मंसूर अली, सब इंस्पेक्टर महेंद्र भगत सहित लगभग एक दर्जन पुलिसकर्मियों की टीम यूपी भेजी गई।

कई जगह पड़ताल व दबिश के बाद उदयवीर और राजू रजवा को पुलिस ने धर लिया। पूछताछ में मुकेश खंडेलवाल उर्फ डॉ. देवेंद्र (डॉ. डेथ) के यूपी की जेल में होने का पता चला।

डॉ. देवेंद्र शर्मा इतना शातिर है कि हर बार पकड़े जाने पर पुलिस को नई कहानी बताता है।
डॉ. देवेंद्र शर्मा इतना शातिर है कि हर बार पकड़े जाने पर पुलिस को नई कहानी बताता है।

डॉ. डेथ को पकड़ा, तो पुलिस ने समझा केस क्लोज हुआ जीआरपी ने देवेंद्र शर्मा से पूछताछ की। शातिर ने कई झूठी कहानियां बनाई कि अलीगढ़ के एक परिवार ने रंजिशवश दोनों भाइयों की हत्या की। सच पता नहीं लगा तो तत्कालीन एसपी डॉ. प्रशाखा माथुर के निर्देशन में गहन जांच चली। पुलिस ने रेलवे स्टेशन पर खड़े टैक्सी ड्राइवरों से बातचीत कर टैक्सी बुक करने वाले का हुलिया पूछकर स्केच बनवाया। ये स्केच डॉक्टर देवेंद्र से मिलता जुलता था।

इसके बाद सब इंस्पेक्टर महेंद्र भगत के नेतृत्व में पुलिस टीम को यूपी भेजा। वहां डॉक्टर देवेंद्र शर्मा के साथ जेल में बंद काजी सावेश नाम के कैदी ने पुलिस टीम को अलग से मिलने का इशारा किया। पुलिस टीम जब उस कैदी से मिली तो उसने बताया कि देवेंद्र ने डबल मर्डर में जिन्हें गिरफ्तार करवाया है, वे बेकसूर हैं।

डबल मर्डर देवेंद्र और उसके साथियों ने ही करवाया है। वो यहां जेल में रोजाना पुलिसवालों पर हंसता है और डींगें हांकता है कि उसने न सिर्फ जीआरपी पुलिस को पागल बना दिया बल्कि अपने दुश्मनों का भी इलाज कर दिया। इसके बाद पुलिस टीम ने डॉक्टर देवेंद्र शर्मा से दोबारा सख्ती से पूछताछ की।

जयपुर पुलिस ने जब देवेंद्र को पहली बार गिरफ्तार किया था, तब उसने कबूला था कि उसे मर्डर करने में मजा आता है।
जयपुर पुलिस ने जब देवेंद्र को पहली बार गिरफ्तार किया था, तब उसने कबूला था कि उसे मर्डर करने में मजा आता है।

दोनों ड्राइवर भाइयों का बेल्ट से घोंटा था गला, कहा- मारने में मजा आता है इस बार डॉक्टर देवेंद्र शर्मा ने पूरा सच कबूला। उसने बताया- टैक्सी से कासमपुर (यूपी) पहुंचने के बाद उसने अपने दोनों साथियों राजू रजवा और उदयवीर को कार में बैठाया। रास्ते में डॉ. देवेंद्र शर्मा, राजू रजवा और उदयवीर ने टॉयलेट के बहाने हाईवे पर गाड़ी रुकवाई। पीछे सीट पर बैठे तीनों आरोपियों ने दोनों भाइयों चांद खां और शराफत खां की बेल्ट से गला घोंटकर हत्या कर दी और उनके शव हजारा नहर में फेंक दिए।

100 मर्डर के बाद गिनती करना छोड़ा डॉक्टर देवेंद्र शर्मा ने बताया कि इससे पहले भी उसने और उसके साथियों ने यूपी और अन्य राज्यों में कई टैक्सी ड्राइवरों की हत्या की। 100 मर्डर के बाद गिनती करना ही छोड़ दिया था। ये मर्डर महज दो साल 2002 से 2004 के बीच किए।

डॉक्टर ने कबूला कि उसे गला घोंटकर लोगों को मारने में मजा आता है। वह शवों को हजारा नहर में फेंक देता था कि ताकि वहां मगरमच्छ शवों को खा जाएं और कोई सबूत न बचे।

इन दोनों भाइयों के शव बहकर एटा में गंगा नहर तक आ गए। इस तरह डबल मर्डर का खुलासा होने पर GRP पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया। वहीं, पहले गिरफ्तार लोगों को छोड़ दिया गया।

पुलिस के देखते ही देखते मामला हुआ बड़ा, फिर सुनाई अपनी काली कहानी दवेंद्र शर्मा ने बताया- अलीगढ़ के पुरैनी गांव का रहने वाला है। बिहार के सीवान से बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी) की डिग्री हासिल की थी। 1982 में शादी की। 1984 से 1995 तक दौसा के बांदीकुई में जनता अस्पताल और डायग्नोस्टिक के नाम से क्लिनिक चलाया।

साल 1994 में थापर चैंबर में एक गैस कंपनी की डीलरशिप देने की योजना चलाई, इसमें 11 लाख रुपए इंवेस्ट किए, लेकिन कंपनी भाग गई और पैसा डूब गया। इस पैसे की भरपाई के लिए वह जयपुर, वल्लभगढ़, गुरुग्राम और दूसरी जगह चल रहे किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट में शामिल हो गया। 1994 से 2004 तक उसने अवैध तरीके से 125 से अधिक किडनी की व्यवस्था की। एक ट्रांसप्लांट के लिए उसे 5-7 लाख रुपए मिलते थे।

डॉक्टर डेथ बांदीकुई में 2003 तक क्लिनिक चलाता रहा। इस दौरान वो उन लोगों के संपर्क में आया जो टैक्सी किराए पर लेते और फिर ड्राइवर की हत्या कर टैक्सी लूट लेते थे। आरोपी कासगंज के हजारा नहर में शव को फेंकते थे, जिसमें मगरमच्छ होते हैं, इसलिए किसी का भी शव नहीं मिलता था। लूटी हुई टैक्सी को कासगंज और मेरठ में 20-25 हजार रुपए में बेच दिया जाता था। पैसा कमाने के लिए देवेंद्र अवैध किडनी ट्रांसप्लांट के साथ ही इस काम में जुट गया।

शराफत खां और चांद खां के मर्डर के बाद उसे गुरुग्राम में डॉ. अमित द्वारा संचालित अनमोल नर्सिंग होम में किडनी रैकेट मामले में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। वो इसी मामले में जेल में बंद था।

आरोपी को जयपुर के मामले में सुनाई की सजा के आदेश की कॉपी।
आरोपी को जयपुर के मामले में सुनाई की सजा के आदेश की कॉपी।

4 साल पहले भी जयपुर जेल से हुआ था फरार, दिल्ली पुलिस ने पकड़ा इस दोहरे हत्याकांड में कोर्ट ने डॉ. देवेंद्र शर्मा उर्फ डॉ. मुकेश खंडेलवाल और उसके दो साथियों उदयवीर उर्फ मकोय और राजू उर्फ रजवा को 2018 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। साल 2020 के जनवरी महीने में जयपुर स्थित सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे डॉक्टर देवेंद्र शर्मा को 20 दिन की पैरोल मिली और वो जेल से बाहर आ गया।

पैरोल से बाहर आने के बाद डॉक्टर डेथ फरार हो गया। पुलिस से बचने के लिए वो दिल्ली में फरारी काटने लगा। वहां एक विधवा से शादी कर प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करने लगा था। जुलाई 2020 में दिल्ली में नारकोटिक्स सेल की टीम को उसकी भनक लगी। टीम ने डॉक्टर देवेंद्र शर्मा को गिरफ्तार कर लिया और उसे जयपुर पुलिस को सौंप दिया। जहां से उसे दोबारा जेल भेज दिया गया।

गौरतलब है कि डॉ. देवेंद्र उर्फ डॉ. डेथ एक मामले में फांसी और आधा दर्जन से अधिक मामलों में उम्रकैद की सजा काटने के लिए तिहाड़ जेल में था। वह जून 2023 में तिहाड़ जेल से पैरोल पर बाहर आया था और अगस्त 2023 से फरार हो गया था। फरार डॉ. देवेंद्र दौसा के एक आश्रम में साधु बनकर छुपा हुआ था और फर्जी नाम से रह रहा था। दौसा में करवाए एक मोबाइल रिचार्ज ने दिल्ली पुलिस को उस तक पहुंचा दिया।

M 24x7 News
Author: M 24x7 News

Leave a Comment

best news portal development company in india
best news portal development company in india
सबसे ज्यादा पड़ गई