बामनवास से कांग्रेस विधायक इंदिरा मीणा को हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। जस्टिस समीर जैन की अदालत ने बीजेपी मंडल अध्यक्ष की ओर से दर्ज एफआईआर में किसी भी तरह के कोर्सिव एक्शन (दण्डात्मक कार्रवाई) पर रोक लगा दी है।
इंदिरा मीणा की ओर से हाईकोर्ट में एफआईआर को रद्द कराने के लिए याचिका लगाई गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए आज अदालत ने पुलिस से तथ्यात्मक रिपोर्ट तलब की है। विधायक के वकील कृतेश ओसवाल ने कोर्ट को बताया कि यह मामला राजनीतिक द्वेषता के चलते दायर किया गया है।
एफआईआर में मारपीट व गाड़ी में तोड़फोड़ की बात कही गई है, लेकिन परिवादी ने कोई मेडिकल नहीं करवाया। ऐसे में उनके द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं। उन्होंने बताया कि हमने कोर्ट में घटना के फोटो-वीडियो भी पेश किए हैं।

नाम की पट्टिका को लेकर हुआ था विवाद दरअसल, सवाई माधोपुर के बौंली में 2 साल पहले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण हुआ था। यहां पीडब्ल्यूडी की ओर से चौराहे का निर्माण करवाया जा रहा था। दो साल पहले बामनवास विधायक इंदिरा मीणा की ओर से इसका शिलान्यास किया गया था। इस पट्टिका पर उनके साथ पूर्व सीएम अशोक गहलोत का नाम भी था। इस साल अंबेडकर जयंती से एक दिन पहले 13 अप्रैल को विधायक और मंडल अध्यक्ष के बीच नाम की पट्टिका को लेकर विवाद हो गया था।
विधायक पर हाथापाई का आरोप विधायक समर्थकों का आरोप था कि बौंली भाजपा मंडल अध्यक्ष हनुमत दीक्षित के साथ प्रधान कृष्ण पोसवाल ने उनके नाम की पट्टिका को हटा दिया। सूचना मिलने पर विधायक मौके पर पहुंची। इसके बाद विधायक और भाजपा मंडल अध्यक्ष के बीच बहस हो गई थी। आरोप था कि इस दौरान इंदिरा मीणा ने बौंली भाजपा मंडल अध्यक्ष हनुमत दीक्षित से हाथापाई की। कॉलर पकड़कर खींचा और शर्ट फाड़ दी। विधायक बोली थीं- जयंती शांति से क्यों नहीं मनाने दे रहे हो? इन्हें दंगे करवाने हैं।

एसडीएम को फोन किया था इसके बाद विधायक ने एसडीएम को कॉल किया था। कहा- एसडीएम साहब इतने दब्बू मत बनो। समय-समय की बात है, सरकार की इतनी भी गुलामी मत करो। सरकार के लोग पुलिस को गालियां निकाल रहे हैं, पट्टिकाएं तोड़ रहे हैं।
