IITian दोस्त के साथ मिलकर 400 करोड़ की ठगी करने वाले MBA पास शातिर को भरतपुर रेंज पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी देवेंद्रपाल सिंह (37) पुत्र अमरजीत निवासी बमरोली, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ने अपने दोस्त शशिकांत का ठगी में साथ देने के लिए 28 लाख सालाना पैकेज वाली नौकरी छोड़ दी।
देवेंद्रपाल ने अपने दोस्त शशिकांत के साथ मिलकर शैल कंपनियां बनाई और 400 करोड़ की ठगी की। मामले में अब तक 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इससे पहले 8 मई की रात को दिल्ली के मोहन गार्डन से रविंद्र सिंह (54) पुत्र त्रिलोकी नाथ सिंह, दिनेश सिंह (49) पुत्र दीनानाथ और दिनेश की पत्नी कुमकुम (38) निवासी बलिया (उत्तर प्रदेश) को गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल शशिकांत और रोहित दुबे फरार हैं।

गैंग के मास्टरमाइंड शशिकांत और रोहित दुबे
राहुल प्रकाश ने बताया- देवेंद्र और बाकी आरोपियों से पूछताछ में सामने आया कि गैंग के सरगना शशिकांत और रोहित दुबे हैं। इन दोनों ने मिलकर एबुडैंस पेमेंट सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (ट्राईपे) नाम से एक कंपनी खोली थी, जिसका हेडक्वार्टर बेंगलुरु (कर्नाटक) में रखा।
इनकी यह कंपनी मर्चेंट और पेमेंट गेटवे के बीच पाइपलाइन का काम काम करती थी। इसके लिए यह कंपनी 0.20 फीसदी कमीशन लेती थी। शशिकांत ने अपने एमबीए दोस्त देवेंद्रपाल को भी गैंग में शामिल कर लिया।
आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को डायरेक्टर, उनके दस्तावेज से शैल कंपनियां बनाते
आईजी राहुल प्रकाश ने बताया- यह गैंग मिलकर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को लालच देती और उनके दस्तावेज से फर्जी कंपनियां खुलवाती थी। ये कंपनियां गेम, बिजनेस या ई-कॉमर्स से जुड़ा काम कर फर्जीवाड़ा करती थी और लोगों से निवेश करवाती थी।
कंपनी के डायरेक्टर और शशिकांत के बीच एक आदमी कोऑर्डिनेट करता था, जिसे ये लोग रिसेलर के नाम से बुलाते थे। रिसेलर ही आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को फंसाकर लाता। फिर उनके दस्तावेज लेकर उन्हें कंपनी का डायरेक्टर बना देता। डायरेक्टर बने लोगों को हर महीने मामूली रुपए मिलते थे।
रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने बताया- कंपनी चलाने का काम शशिकांत, रोहित और देवेंद्रपाल संभालते थे। दस्तावेज की जरूरत होने पर ये लोग रिसेलर से बात करते थे। कंपनी के जरिए आने वाला पैसा आरोपियों के अलग-अलग अकाउंट में चला जाता था। फिलहाल देवेंद्र से पूछताछ की जा रही है। देवेंद्र और शशिकांत बचपन के दोस्त हैं। दोनों ने स्कूल से लेकर एमबीए की पढ़ाई साथ ही की है।
1930 पर धौलपुर में दर्ज हुआ था केस रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने बताया- 6 मार्च को साइबर थाना धौलपुर पर हरिसिंह नाम के व्यक्ति ने हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर फिनो पेमेंट बैंक के खाते के खिलाफ साइबर फ्रॉड की शिकायत दी थी।
हेल्पलाइन पर मिलने वाली शिकायतों का विश्लेषण करने के लिए रेंज साइबर वॉर रूम बना हुआ है। इस मामले का विश्लेषण किया तो चौंकाने वाले फैक्ट सामने आए। जिस फिनो पेमेंट बैंक के खिलाफ शिकायत दी गई थी, उसके खिलाफ हेल्पलाइन नंबर पर 4 हजार से ज्यादा शिकायतें की गई है।
राहुल प्रकाश ने बताया- इसके बाद धौलपुर थाने को तुरंत मामला दर्ज करने के निर्देश दिए। फिर इसे भरतपुर रेंज ऑफिस में ट्रांसफर कर जांच टीम बनाई। इस टीम ने फिनो पेमेंट बैंक के बारे में डिटेल खंगाली तो सामने आया कि धौलपुर के शिकायतकर्ता हरिसिंह के 35 लाख रुपए आगे चार कंपनियों के खातों में ट्रांसफर किए गए थे।
1. रुकनेक इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड (गुरुग्राम हरियाणा) 2. सेलवा कृष्णा आईटी सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (चेन्नई, तमिलनाडु) 3. एसकेआरसी इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड (ठाणे, महाराष्ट्र) 4. नित्यश्री मेनपावर एंड कॉन्ट्रेक्ट वर्क्स (नागापट्टीनम, तमिलनाडु)
इन चारों कंपनियों के बैंक खातों को तत्काल फ्रीज किया गया। इन खातों में करीब 4 करोड़ की राशि फ्रीज की गई। इनमें से आरोपी दिनेश और कुमकुम रुकनेक इंटरप्राइजेज कंपनी के डायरेक्टर निकले। ये गेमिंग ऐप के फर्जी लिंक, शेयर बाजार में निवेश का झांसा देकर ठगी कर रहे थे। 4 महीने में इन अकाउंट्स में 400 करोड़ से ज्यादा का ट्रांजैक्शन हुआ।
गैंग का सरगना रविंद्र सिंह MBA पास आईजी राहुल प्रकाश ने बताया- गैंग का सरगना रविंद्र सिंह एमबीए तक पढ़ा है। इसका भांजा शशिकांत पैसे लेकर ठगी में सहयोग करता था। शशिकांत उत्तर प्रदेश के इलाहबाद का रहने वाला है। आरोपियों ने विभिन्न पेमेंट गेटवे (फिनो पेमेंट, बकबॉक्स इनफोटेक, फोनपे, एबुनडान्स पेमेंट, पेवाइज, ट्राइपे) आदि पर मर्चेंट जारी करवा रखे थे।
आखिर में यह सारा पैसा मुख्य सरगना के पास जा रहा था। आरोपियों की ओर से खुलवाई गई अधिकतर कंपनियों के पते फर्जी थे। सिम कार्ड भी फर्जी थी। रविंद्र इन्हें फर्जी सिम मुहैया कराता था। खास बात यह है कि रविंद्र इस फ्रॉड में सीए की भी मदद लेता था। दिनेश और कुमकुम ने रुकनेक के अलावा चार और कंपनियां रजिस्टर्ड करा रखी थी। उनके भी अलग-अलग बैंक खाते हैं।
एक कंपनी को एक साल तक ही काम में लेते थे भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने बताया- गिरोह एक कंपनी को एक साल तक ही काम में लेता था। इसके बाद दूसरी कंपनी खोल लेता था। यह प्रोसेस लगातार चल रही थी। इसका पता इसी से चलता है कि फिनो पेमेंट बैंक खाते पर 100 कंपनियां रजिस्टर्ड है। सभी कंपनियों के खिलाफ हेल्प लाइन नंबर 1930 पर शिकायतें दर्ज कराई गई है। जैसे ही शिकायत की जाती, आरोपी लेन-देन बंद कर नई कंपनी में काम शुरू कर दिया करते थे।
