राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा है कि आकाश से पानी गिरे तो उसे बहने नहीं दें, वहीं रोकें। इसी से पानी को बचा पाएंगे। महाराष्ट्र में ऐसे प्रयास हुए हैं। पानी रोकने के लिए प्रयास हों। पानी रुकेगा तभी भूमिगत जल संरक्षण हो सकेगा। आज जलयुक्त गांव बनाए जाने की जरूरत है। राज्यपाल जयपुर में राजस्थान एन्वायरनमेंट एंड एनर्जी कंजर्वेशन संस्था के वर्ल्ड एनवायरमेंट डे समिट में बोल रहे थे।
राज्यपाल ने कहा- पर्यावरण की समस्या नैसर्गिक नहीं है, मिलकर प्रयास करें तो हम पर्यावरण को बचा सकते हैं। ऐसे पेड़ लगाने पर जोर देना चाहिए जो अधिक से अधिक छांव दें और भरपूर ऑक्सीजन दें। बरगद और पीपल दिन-रात ऑक्सीजन देते हैं। ऐसे पेड़ लगाए जाने की आवश्यकता है। इससे जमीन गर्म नहीं होगी, जमीन गर्म नहीं होगी तो हवा गर्म नहीं होगी। इसी से पर्यावरण शुद्ध रहेगा।

जल, जंगल और जमीन बचाने के लिए मिलकर काम करना होगा
राज्यपाल ने कहा- पेड़ लगेंगे तभी बारिश होगी। जल, जंगल और जमीन बचाने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। कुलाधिपति के रूप में मैंने विश्वविद्यालयों में खाली स्थानों पर पेड़ लगाने के लिए पत्र लिखा है। सरकारी दफ्तरों,सार्वजनिक स्थानों पर खुद आगे बढ़कर पेड़ लगाने के लोग प्रेरित हों। संख्या की बजाय पनपने वाले बड़े पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें। इसी से पेड़ों का पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिकाधिक उपयोग हो सकेगा।
यूडीएच मंत्री बोले- पर्यावरण बचाने में युवा आगे आएं
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा- पेड़ लगाने, पानी बचाने और पर्यावरण बचाने के लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा। नई पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक किए जाने की जरूरत है। नई पीढ़ी में जागरूकता आएगी तभी पर्यावरण बचेगा।
पद्मश्री लक्ष्मण सिंह ने पानी बचाने के अनुभव साझा किए
कार्यक्रम के दौरान पद्मश्री लक्ष्मण सिंह ने पानी बचाने के अभियान में खुद के अनुभव सुनाए। लक्ष्मण सिंह ने गांवों में पानी की होती जा रही कमी के साथ जल संरक्षण के लिए लापोड़िया में सामूहिक भागीदारी से खुदवाए देव सागर, अन्न सागर जैसे तालाबों, गोचर संस्कृति और पेड़ लगाने के कामों के अनुभव साझा किए। पशुपालन विभाग के सचिव समित शर्मा ने भूजल के गिरते स्तर और पानी की कमी से भविष्य में होने वाली समस्याओं पर प्रजेंटेशन दिया।
