देश की प्रमुख सांस्कृतिक संस्था शुभ विचार संस्था और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) के सहयोग से भारत की प्राचीन नाट्य परंपरा भरत मुनि कृत पंचम वेद ‘नाट्यशास्त्र’ को राजस्थान सहित देशभर के युवा रंगकर्मियों तक पहुंचाने के लिए साझा प्रयास करेगी। इस दिशा में संस्था के निदेशक जीतेन्द्र शर्मा की ओर से जयपुर में एनएसडी को रीजनल सेंटर खोलने का प्रस्ताव भी दिया गया है, जिसके लिए शुभ विचार संस्था निशुल्क भूमि प्रदान करने को तैयार है।
संस्था के संस्थापक, अभिनेता-निर्देशक और शास्त्रीय नाट्य के शोधकर्ता जीतेंद्र शर्मा ने दिल्ली में NSD के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार मोहंती से विशेष भेंट की। इस भेंट में नाट्यशास्त्र में वर्णित भारत की मूल नाट्य शैली, उसके सिद्धांतों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार को लेकर विस्तृत संवाद हुआ।

शर्मा ने बताया कि नाट्यकला भारत से शुरू होकर विश्वभर में फैली है और आज भी नाट्यशास्त्र के सिद्धांत पूरी तरह प्रासंगिक हैं। उन्होंने रजिस्ट्रार को अपने द्वारा राजस्थान विश्वविद्यालय के संगीत विभाग से किए जा रहे शोध ‘शास्त्रीय संगीत एवं शास्त्रीय नाट्य’ के बारे में अवगत कराया और NSD को निशुल्क सेवा देने की इच्छा भी जताई।
इस अवसर पर NSD रजिस्ट्रार मोहंती ने कहा कि भारत नाट्यकला का जनक है। नाट्यशास्त्र और भगवद्गीता को यूनेस्को द्वारा अपनी रजिस्ट्री में शामिल करना पूरे देश के लिए गर्व की बात है। अब समय है कि भारत की मूल नाट्य विधा को फिर से जनमानस से जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि NSD इस दिशा में भविष्य में योजनाबद्ध कार्य करेगा और शुभ विचार संस्था जैसी सांस्कृतिक संस्थाओं की इसमें भागीदारी अहम होगी।
उल्लेखनीय है कि जीतेंद्र शर्मा अपने थिएटर प्रयोगों के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने श्मशान घाट को मंच बनाकर नाटक प्रस्तुत कर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाएं बटोरी थीं। शर्मा ने स्पष्ट किया कि उनकी संस्था NSD के साथ मिलकर भरतमुनि की नाट्य परंपरा को लोकप्रिय बनाने के लिए कार्य करती रहेगी ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी रह सकें।
