एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े सभी हॉस्पिटलों में अब सीनियर डॉक्टर सुबह के अलावा शाम को भी वार्डों का दौरा करेंगे। इससे उन मरीजों को राहत मिलेगी जो दोपहर 2 या 3 बजे बाद इमरजेंसी में आकर भर्ती होते है। ऐसे मरीजों की अक्सर शिकायत रहती है कि भर्ती होने के 10 घंटे तक भी कोई डॉक्टर उन्हें देखने नहीं आता।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर दीपक माहेश्वरी ने हाल ही में सभी विभागों के प्रमुखों की बैठक कर उनको अपने-अपने विभागों की तमाम यूनिट्स में शाम के समय विजिट करने के लिए डॉक्टरों की ड्यूटी लगाने के निर्देश दिए है।
प्रिंसिपल बोले- इमरजेंसी में भर्ती मरीजों को मिलेगी राहत
प्रिंसिपल डॉ. माहेश्वरी ने बताया- सभी यूनिट में जो मरीज इमरजेंसी के जरिए भर्ती होते है उनको समय पर कंसलटेंसी मिले, इसे देखते हुए हमने सभी पीएचओडी को सख्ती से इस व्यवस्था को लागू करने के निर्देश दिए है।
इसके तहत हमने असिस्टेंट, एसोसिएट, प्रोफेसर या सीनियर प्रोफेसर की ड्यूटी लगेगी, ताकि वे खुद जाकर एक-एक मरीज को शाम को देखे और आवश्यक कंसलटेंट करें। ये व्यवस्था महिला चिकित्सालय सांगानेरी गेट, जनाना हॉस्पिटल चांदपोल, जेके लोन हॉस्पिटल, गणगौरी हॉस्पिटल, सुपर स्पेशियलिटी विंग, ट्रोमा सेंटर, कावंटिया समेत अन्य हॉस्पिटल में रहेगी
अभी केवल सुबह ही विजिट करते है डॉक्टर
वर्तमान में एसएमएस मेडिकल कॉलेजों से अटैच हॉस्पिटल में सीनियर डॉक्टर्स (असिस्टेंट, एसोसिएट, प्रोफेसर या सीनियर प्रोफेसर) केवल सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक के बीच ही वार्ड में विजिट करते है और मरीजों को देखते है। दोपहर या देर शाम को भर्ती होने वाले मरीजों को रेजीडेंट्स डॉक्टर्स ही वार्ड में संभालते है। उन्हें फिर अगले दिन सीनियर डॉक्टर देखते है। इसको लेकर प्रशासन में अक्सर ये शिकायत रहती थी कि सीनियर डॉक्टर दोपहर या शाम को भर्ती होने वाले मरीजों को नहीं देखते।
महिला, जनाना और जेके लोन में सबसे ज्यादा परेशानी महिला, जनाना और जे.के. लोन हॉस्पिटल में इसे लेकर सबसे ज्यादा परेशानी होती है। यहां दोपहर बाद आने वाली गर्भवती महिलाएं या अन्य बीमारी से ग्रसित महिला मरीजों को देखने के लिए दोपहर बाद कोई सीनियर डॉक्टर मौके पर मौजूद नहीं होता।
रेजीडेंट्स के भरोसो ही पूरा हॉस्पिटल संचालित रहता है। इमरजेंसी केस में ऑनकॉल डॉक्टर ही आते है। यही स्थिति जे.के. लोन हॉस्पिटल में रहती है, यहां भी देर शाम को भर्ती होने वाले मरीजों (छोटे बच्चों) को देखने और कंसलटेंट देने वाला कोई सीनियर डॉक्टर नहीं होता।
