जोधपुर की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने पूर्व आयकर अधिकारी शैलेंद्र भंडारी को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाया है। कोर्ट ने उन्हें 4 साल की कैद और 27 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज भूपेंद्र सनाढ्य ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया।
सीबीआई के स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर भगवानसिंह भंवरिया के अनुसार, सीबीआई की जोधपुर टीम ने 2015 में इनकम टैक्स विभाग के आईटीओ शैलेंद्र भंडारी, चीफ कमिश्नर पीके शर्मा और एक ज्वैलर को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था।
जांच में पता चला कि दोनों अधिकारियों ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की थी, जिसके आधार पर उनके खिलाफ अलग से मामले दर्ज किए गए थे। इस मामले में शैलेंद्र भंडारी को दोषी पाया गया है।
साल 1978 से 2015 तक की नौकरी आईटीओ शैलेंद्र भंडारी ने 2 जनवरी 1978 को आयकर विभाग में एलडीसी के पद पर नियुक्ति ली थी। विभाग में एलडीसी, यूडीसी, टैक्स असिस्टेंट, इंस्पेक्टर और आयकर अधिकारी के पदों पर अलग-अलग स्थानों पर काम किया।
साल 2001 से अक्टूबर 2009 तक वह आयकर इंस्पेक्टर के पद पर और 16 अक्टूबर 2009 से 31 मार्च 2015 तक आयकर अधिकारी के पद पर कार्यरत रहा। गत 31 मार्च 2015 को उसे रिश्वत के मामले में ट्रैप किया गया था।
1 अप्रैल 2006 से 31 मार्च 2015 की जांच सीबीआई की जांच में सामने आया कि 1 अप्रैल 2006 से 31 मार्च 2015 की अवधि के दौरान भंडारी ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर 91.31 लाख रुपए की संपत्ति अर्जित की। इन संपत्तियों में आभूषण, घरेलू सामान, नकदी, बैंक बैलेंस, वाहन, शेयर और अचल संपत्ति शामिल थी। इसी अवधि में उनकी कुल वैध आय 61.25 लाख रुपए थी, जबकि कुल व्यय 29.74 लाख रुपए था।
तीन प्रमुख अचल संपत्तियां सीबीआई की जांच में तीन प्रमुख अचल संपत्तियां सामने आईं। इनमें पहली, 20 सितंबर 2007 को सरदारपुरा दूसरी सी रोड पर 69.333 वर्ग गज की जमीन, जो शैलेंद्र भंडारी और उसकी पत्नी दमयंती भंडारी के संयुक्त नाम पर थी। इस पर 2009 में निर्माण कार्य किया गया और इसकी कुल कीमत 29.47 लाख रुपए थी।
दूसरी प्रोपर्टी साल 2009 में उचियारड़ा में 200 वर्ग गज की जमीन, जो दमयंती भंडारी के नाम पर थी। इसकी कीमत 66,500 रुपए बताई गई थी। तीसरी संपत्ति, मई 2012 में सरदारपुरा सी रोड पर 834.75 वर्ग फीट का मकान, जो उसके बेटे अखिल सिंह भंडारी के नाम पर 30 लाख रुपए में खरीदा गया था।
61.25 लाख की आय बनाम 1.21 करोड़ की संपत्ति सीबीआई की विस्तृत जांच में यह स्थापित हुआ कि 1 अप्रैल 2006 से 31 मार्च 2015 के बीच शैलेंद्र भंडारी की सभी वैध स्रोतों से कुल आय 61.25 लाख रुपए थी। इसमें उसका वेतन, इंडियन ओवरसीज बैंक से लिया गया होम लोन, उसकी पत्नी दमयंती भंडारी और बेटे अखिल सिंह भंडारी की आय शामिल थी।
इसी अवधि में उसका कुल खर्च 29.74 लाख रुपए था, जिसमें होम लोन की वापसी, क्लब मेंबरशिप फीस, बच्चों की शिक्षा, आयकर का भुगतान और घरेलू खर्च शामिल थे। इस प्रकार 61.25 लाख रुपए की आय के मुकाबले भंडारी ने 1.21 करोड़ रुपए की संपत्ति और व्यय किया, जो 59.80 लाख रुपए यानी 97.64 प्रतिशत अधिक था।
31 मार्च 2015 की रिश्वत लेते ट्रैप से भ्रष्टाचार का खुलासा मामला तब सामने आया जब 31 मार्च 2015 को सीबीआई ने केस दर्ज किया, जिसमें मुख्य आयकर आयुक्त पीके शर्मा और अन्य के खिलाफ धारा 120B आईपीसी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत मामला बना।
इस ट्रैप कार्रवाई के बाद शैलेंद्र भंडारी के आवासीय और कार्यालयीन परिसरों पर तलाशी ली गई। इस दौरान जब्त दस्तावेजों और एकत्र की गई जानकारी की जांच से पता चला कि भंडारी ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर भारी संपत्ति जमा की थी।
तब, 2 मार्च 2016 को सीबीआई के इंस्पेक्टर मुकेश बंसल की ओर से सीबीआई एसीबी जोधपुर द्वारा भंडारी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने की रिपोर्ट पर 4 मार्च 2016 को DA केस दर्ज किया गया।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 के तहत दोषसिद्धि विशेष न्यायालय ने शैलेंद्र भंडारी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) के साथ धारा 13(1)(ई) के तहत दोषी पाया। यह धारा सार्वजनिक सेवक द्वारा आपराधिक दुराचार और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने से संबंधित है। कई वर्षों की लंबी सुनवाई के बाद 9 अक्टूबर 2025 को अदालत ने 26.46 प्रतिशत अवैध संपत्ति सिद्ध होने पर भंडारी को 4 साल की सजा और 27 लाख रुपए का जुर्माना की सजा सुनाई।
रिटायर होने तक नहीं हो पाया था बहाल शैलेंद्र भंडारी को 31 मार्च 2015 में रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद निलंबित कर दिया गया था। निलंबित रहते हुए ही वह 29 सितंबर 2017 को सेवानिवृत्त हो गया। उसके खिलाफ दो अलग-अलग मामले चल रहे थे – पहला रिश्वत का और दूसरा आय से अधिक संपत्ति का। रिश्वत के मामले में उन्हें 26 सितंबर 2025 को 4 साल की सजा और 1.10 लाख रुपए का जुर्माना की सजा दी गई थी।
पीके शर्मा का मामला अभी लंबित दिलचस्प बात यह है कि तत्कालीन मुख्य आयकर आयुक्त पीके शर्मा के खिलाफ भी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज है, जो अभी सीबीआई कोर्ट में विचाराधीन है। रिश्वत के मामले में शर्मा को भी 26 सितंबर 2025 को 4 साल की सजा और 1.10 लाख रुपए का जुर्माना मिल चुका है। उनके खिलाफ आरोप है कि उनके पास उनकी ज्ञात आय से काफी अधिक की संपत्ति है। सीबीआई ने उनकी विभिन्न शहरों में स्थित संपत्तियों की जांच की है।







